Skip to main content

स्वर्गीय बहुगुणा को मिले भारत रत्न: केजरीवाल

दिल्ली के सीएम

 अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा परिसर में स्व. बहुगुणा की स्मृति में पौधा रोप कर उनके चित्र का अनावरण किया 

स्व.सुंदरलाल बहुगुणा ने चिपको आंदोलन के जरिए संदेश दिया कि हमें पर्यावरण को बचाना आवश्यक हैः राम निवास गोयल विस अध्यक्ष

दिल्ली विधानसभा में उन लोगों के चित्र लगेंगे, जिन्होंने हमारे भारत को भारत बनाने का काम किया है: मनीष सिसोदिया

नई दिल्ली। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार दिल्ली विधानसभा परिसर में गुरुवार को मेरे पिता स्व. सुंदरलाल बहुगुणा की स्मृति में पौधा रोपकर उनके चित्र का अनावरण किया। उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की कि, स्व. सुंदरलाल बहुगुणा को भारत रत्न से सम्मानित किया जाए। इस मौके पर स्वर्गीय बहुगुणा के पुत्र प्रदीप बहुगुणा, पुत्रवधु डा. मंजू बहुगुणा और पोती सौम्या बहुगुणा भी मौजूद थे।

केजरीवाल ने कहा कि स्वर्गीय बहुगुणा आज शरीरिक रूप से भले ही हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनका जीवन और संदेश हमेशा हमें प्रेरणा देते रहेगा। उन्होंने कहा कि आज हम सब लोग स्व.सुंदरलाल बहुगुणा को श्रद्धांजलि अर्पित करने और उन्हें याद करने के लिए एकत्र हुए हैं। मुझे बेहद खुशी है कि दिल्ली के लोगों, दिल्ली विधानसभा, सभी विधायकों और दिल्ली सरकार की तरफ से आज यहां पर उनकी याद में एक स्मारक बनाया गया और उनकी तस्वीर का अनावरण किया गया। आज हम इस सभागार में उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दे रहे हैं। जैसा की विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि यहां पर शायद आज उनको श्रद्धांजलि देकर इस सभागार को पवित्र कर रहे हैं। यह सभागार पवित्र हो गया है। वह एक महान आत्मा थे। उनका जीवन और उनके जीवन का एक-एक क्षण हमारे लिए और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा। उन्होंने बहुत संघर्ष किया और अपनी पूरी जिंदगी उन्होंने समाज को दिया। उन्होंने समाज से कभी कुछ लिया नहीं है। वह न केवल उत्तराखंड में और न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रेरणा के स्रोत थे। पूरा विश्व उन्हें याद करता है। मैं समझता हूं कि केवल एक बार सब लोग मिल कर उन्हें श्रद्धांजलि दें, वो वही सच्ची श्रद्धांजलि नहीं होगी। हम सब लोगों के लिए और भारत के एक-एक बच्चे को उनके जीवन और उनके विचारों से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना चाहिए। उनके जीवन की सबसे बड़ी प्रेरणा पर्यावरण थी। जिसको कि आज समस्त मानव जाति देर सबेर समझ रही है कि पर्यावरण कितना महत्वपूर्ण चीज है। आज लोग यह समझ रहे हैं कि पर्यावरण के साथ यह खिलवाड़ जारी रहा, तो शायद एक समय आए, जब मानव जाति ही न बचे। 

    दिल्ली के सीएम ने कहा कि पूरा देश उन्हें नमन करता है। मैं आज इस मौके पर केद्र सरकार से और प्रधानमंत्री से अपील करूंगा कि स्व. सुंदरलाल बहुगुणा को भारत रत्न से सम्मानित करें। इस संबंध में मैं प्रधानमंत्री को चिट्ठी भी लिखूंगा। इससे पूरा देश गौरवांवित महसूस करेगा। अगर हम ऐसी व्यक्तित्व को भारत रत्न से सम्मानित करते हैं, तो भारत रत्न का मान सम्मान बढ़ेगा। उनको सम्मानित करने से देश के बच्चे-बच्चे तक उनका संदेश पहुंचता है। देश के बच्चे-बच्चे तक उनके जीवन की गाथा पहुंचती है। आज हम सब लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्र हुए हैं। मैं दिल्ली के लोगों, दिल्ली विधानसभा, दिल्ली सरकार और सभी विधायकों की तरफ से उन्हें भावभिनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और प्रार्थना करता हूं कि वो जहां भी हों, उन्हें अपने चरणों में जगह दें।

विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल ने कहा कि स्व. सुंदरलाल बहुगुणा ने चिपको आंदोलन के जरिए संदेश दिया कि हमें पर्यावरण को बचाना आवश्यक है। उनको श्रद्धांजलि देकर हम इस सभागार को पवित्र कर रहे हैं। यह सभागार पवित्र हो गया है। वह एक महान आत्मा थे। उनका जीवन और उनके जीवन का एक-एक क्षण हमारे लिए और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा। वह एक महान आत्मा थे। उनका जीवन और उनके जीवन का एक-एक क्षण हमारे लिए और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा। उन्होंने बहुत संघर्ष किया और अपनी पूरी जिंदगी उन्होंने समाज को दिया। उन्होंने समाज से कभी कुछ लिया नहीं है। वह पूरे विश्व के लिए प्रेरणा के स्रोत थे। पूरा विश्व उन्हें याद करता है। 

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि मेरे लिए यह सौभाग्य की बात है कि आज हम सब इस कार्यक्रम में शामिल हुए हैं और स्व. सुंदरलाल बहुगुणा के परिवार के साथ कुछ क्षण बिताने का अवसर मिला है। हम में से अधिकतर लोग तब पैदा ही हुए होंगे, जब चिपको आंदोलन चल रहा होगा। आज हम सब उनके चित्र को अनावरित करके गौरवांवित इसलिए महसूस कर रहे हैं, क्योंकि यह विधानसभाएं या संसद जगह होनी चाहिए, वो चीजें होनी चाहिए, जो स्व. सुंदरलाल बहुगुणा करना चाहते थे। इसलिए यहां हमारे लिए बहुत सौभाग्य की बात है। वह भारत के जिस भूमि पर पैदा हुए, उसे देवभूमि कहते हैं। जब उनकी के बारे में पढ़ता हूं तो यह लगता है कि देवभूमि में कुछ अदृश्य देवताओं का वास है, बल्कि कुछ दृश्य देवताओं का भी वास रहा है। 

उन्होंने कहा कि आज दिल्ली विधानसभा में उनका चित्र उन सब लोगों के साथ लगा है, जिन्होंने हमारे भारत को भारत बनाने में काम किया है। जिनकी बदौलत हमारे देश में आज लोकतंत्र है और जिनकी बदौलत हम खुली हवा में सांस ले पा रहे हैं। उन तमाम लोगों की फोटो इस विधानसभा में लगाई गई है। ये वो लोग हैं, जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी आने वाली पीढ़ियों को कुछ देने में लगा दी। जब भी हम इस सदन में कुछ काम करने या निर्णय के लिए आएंगे, तो स्व. सुंदरलाल बहुगुणा का व्यक्तित्व, उनका काम, उनके उपदेश, उनके सपने और उनके लक्ष्य हमारा मार्गदर्शन भी करेंगे और हमें प्रेरणा भी देंगे और सत्ता की आने वाली पीढ़ियों को लगातार प्रेरणा देते रहेंगे। 


Comments

Popular posts from this blog

सुंदर लाल बहुगुणा 9: इस तरह हुआ चिपको आंदोलन का उदय

Click here to access english version सुंदर लाल बहुगुणा  और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती विमला बहुगुणा अपनी यात्राओं के दौरान सुंदर लाल बहुगुणा ने वन विनाश के परिणामों और वन संरक्षण के फायदों को बारीकी से समझा। उन्होने देखा कि पेड़ों में मिट्टी को बांधे रखने और जल संरक्षण की  क्षमता है। अंग्रेजों के फैलाए चीड़ और इसी से जुड़ी वन विभाग की वनों की परिभाषा ; जंगलों की देन लकड़ी लीसा और व्यापार भी उनके गले नहीं उतरी। उनका मानना था कि वनों का पहला उपयोग पास रह रहे लोगों के लिए हो। उससे उन्हें अपनी जरूरत की चीजें खाद्य पदार्थ, घास, लकड़ी और चारा घर के पास ही सुलभ हों। उन्होंने कहा कि वनों की असली देन तो मिट्टी,पानी और हवा है। उनकी इसी सोच से बाद में चिपको आंदोलन के नारे : क्या हैं जंगल के उपकरण, मिट्टी पानी और बयार, मिट्टी पानी और बयार, जिंदा रहने के आधार का जन्म हुआ।   उन्होंने वन अधिकारों के लिए बड़कोट के तिलाड़ी में शहीद हुए ग्रामीणों के शहादत दिवस 30 मई को वन दिवस के रूप मे मनाने का 30 मई 1967 में निश्चय किया। इसमें अपने सर्वोदयी साथियों के अलावा सभी से शामिल होने की उन्होंने ...

सुंदर लाल बहुगुणा 23: हिमालय से दक्षिण पहुंचा पेड़ बचाने का आंदोलन

समाजसेवा का व्यावहारिक प्रशिक्षण लेने आए पांडुरंग बने बहुगुणा के शार्गिद  पांडुरंग ने आंदोलन छेड़ सरकार को वन नीति बदलने को किया मजबूर   उत्तराखंड और हिमाचल के बाद हरे पेड़ों को बचाने का आंदोलन दक्षिण भारत के कर्नाटक में भी शुरू हो गया। पांडुरंग हेगड़े के नेतृत्व में सिरसी के ग्रामीण पेड़ों को कटने से बचाने के लिए उनसे चिपक गए। कन्नड़ में आंदोलन को नाम दिया गया अप्पिको। आंदोलन का असर इतना व्यापक था कि सरकार को हरे पेड़ों के कटान पर रोक के साथ ही अपनी वन नीति में बदलाव को भी मजबूर होना पड़ा। दिल्ली विश्वविद्यालय से 80 के दशक में बहुगुणा से समाजसेवा का व्यावहारिक प्रशिक्षण लेने आए एमएसडब्लू के होनहार छात्र पांडुरंग, बहुगुणा से इस कदर प्रभावित हुए कि उन्होंने नौकरी की बजाय अपना जीवन भी उनकी तरह ही प्रकृति संरक्षण के लिए समर्पित करने का निश्चय कर लिया। पांडुरंग पर्यावरण संरक्षण का संदेश फैलाने के लिए बहुगुणा की कश्मीर-कोहिमा पदयात्रा में शामिल हुए। यात्रा के बाद पांडुरंग ने बहुगुणा को अपने यहां आने का न्योता भेजा। बताया कि उनके यहां भी सरकार व्यापारिक प्रजाति के पेड़ पनपाने क...

सुंदर लाल बहुगुणा 2 - जातीय भेदभाव मिटाने की लड़ाई से हुई शुरुआत

अंग्रेजी वर्जन के लिए इस लिंक पर क्लिक करें https://bahugunap.blogspot.com/2025/07/sunder-lal-bahuguna-2-fight-against.html टिहरी राजशाही के खिलाफ श्रीदेव सुमन की लड़ाई को लाहौर से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद सुंदर लाल बहुगुणा ने टिहरी रियासत में कांग्रेस के पदाधिकारी के रूप में आगे बढ़ाया। इस बीच 11 जनवरी 1948 को नागेन्द्र सकलानी और मोलू भरदारी को राजशाही द्वारा की गई हत्या से फैली विद्रोह की चिनगारी ने 14 जनवरी 1948 राजशाही का तख्ता पलट दिया। कीर्तिनगर से दोनों शहीदों के शवों को लेकर अपार जनसमूह टिहरी के लिए बढ़ चला। टिहरी के कोने-कोने से जनता  भी 14 जनवरी को मकरैण के लिए साथ में दाल  चावल लेकर  टिहरी पहुंची। जनता में राजशाही के खिलाफ इतना आक्रोश था कि राजतंत्र के लोगों की जान बचाने को टिहरी जेल में बंद करना पड़ा। उसी दिन राजशाही का आखिरी दिन था। प्रजामंडल की सरकार बन गई। तब सुंदर लाल बहुगुणा प्रजामंडल के मंत्री थे लेकिन वे सरकार में शामिल होने की बजाय कांग्रेस के महामंत्री बने। वे घंटाघर के पास कांग्रेस के दफ्तर में रहते थे। तब शराब का प्रकोप जोरों पर था। सबसे खराब स्...