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Showing posts from March, 2024

चीड़, सफेदा, पौपलर नहीं लगेगा, धरती मां के दुश्मन हैं

सिंहुता में प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कृष्णमेट   बहुगुणा जी की डायरी से हरे पेड़ों की कटाई पर रोक के बाद वृक्षारोपण पर दिया जोर, फाइव एफ ट्री का दिया नारा हिमाचल में नर्सरियों से सफेदा और चीड़ के पौधे उखाड़े, उपमन्यु समेत तीन लोग गए जेल विदेशी प्रजाति के प्रकृति के लिए घातक पौधे लगाने का किया विरोध, उनकी जगह पंच जीवन पौधे रोपे कोयले की भट्टियां उजाड़ी कहा, सूखी लकड़ी पर पर पहला हक स्थानीय लोगों का सिल्यारा में वन विभाग के दफ्तर पर महिलाओं ने दिन में छिलके जलकर किया प्रदर्शन हरे पेड़ों के कटान पर रोक के बाद सुंदर लाल बहुगुणा ने वृक्षारोपण पर ध्यान केंद्रित किया। अपनी लंबी यात्राओं से उन्हें प्राकृतिक वनों में एकल प्रजाति के पौधे लगाने  और खासकर चीड़, पौपलर और सफेदा (यूकेलिप्टिस) से धरती को पहुंचने वाले नुकसान का व्यावहारिक ज्ञान हो गया था। एकल प्रजाति के और विदेशी पौधे लगाने का विरोध करते हुए उन्होंने स्थानीय लोगों की जरूरत के मुताबिक खाद्य,चारा,खाद,रेशा और जलाऊ लकडी प्रदान करने वाले पारंपरिक पंच जीवन पौधे ही लगाने की बात कही। इसके लिए उन्होंने फाइव एफ ट्री(फूड, फौडर, फर्टीलाइजर, फा

सुंदर लाल बहुगुणा 21: घास लाखड़ू माटू पाणी, यां का बिना योजना काणी

विश्व पटल पर पहुंचाया चिपको का संदेश वर्ल्ड एनर्जी कान्फ्रेंस में दिखाए तेवर पीठ पर लकड़ी का गठ्ठर लेकर महिलाओं के साथ यूएनओ में किया प्रदर्शन वनों पर पहला हक स्थानीय लोगों का हो, संयुक्त राष्ट्र में दी दलील वर्ष 1981 में केन्या की राजधानी नैरोबी में संयुक्त राष्ट्र के यूनाइटेड नेशंस डेवलेपमेंट ने वर्ल्ड एनर्जी कान्फ्रेंस का आयोजन किया। उद्घाटन के समय कार्न्फेंस हॉल में देश विदेश से आए प्रतिनिधियों ने चकित होकर देखा कि एक अजीब सा आदमी पीठ पर लकड़ी का गठ्ठर उठाए हॉल में घुसा चला आ रहा है। सफेद दाढ़ी और सफेद सांफे से अपने लंबे बाल बांधे इस आदमी ने ऊनी मिरजई और गरम पायजामा पहना था। कंधे में लटके झोले में किताबें भरी थीं। उसने काउंटर पर अपना नाम लिखाया सुंदर लाल बहुगुणा इंडिया। बाद में उसने जिज्ञासुओं को बताया कि लकड़ी का यह गठ्ठर उन करोड़ों ग्रामीण महिलाओं की कष्ट भरी जिंदगी का प्रतीक है जिन्हें खाना बनाने के लिए लकड़ी इकठ्ठा करने के लिए कई किमी दूर जाना पड़ता है और उनका पूरा दिन उसीमें चला जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि गलत सरकारी वन नीति की वजह से अब वे अपने घर के आस पास से लकड़ी नहीं ले सक