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Showing posts from October, 2020

सुंदर लाल बहुगुणा:12ः वनों की नीलामी का विरोध

 सुंदर लाल बहुगुणा:12ः वनों की नीलामी का विरोध अस्कोट से आराकोट अभियान के जरिए युवाओं के चिपको आंदोलन से जुड़ने से जहां आंदोलन को व्यापक स्वरूप मिला वही आंदोलन का कुमाऊं में भी विस्तार हुआ। आंदोलन से छात्र और युवा बड़ी संख्या में जुड़े। 3 अक्टूबर 1974 को उत्तरकाशी में हो रही वनों की नीलामी के विरोध में सुंदर लाल बहुगुणा अपने सर्वोदयी साथियों के साथ नीलामी हाॅल में घुस गए और इसका विरोध किया। नीलामी नहीं रोके जाने पर वे पास ही के हनुमान मंदिर में उपवास पर बैठ गए। उनका यह उपवास दो हफ्ते तक चला।  उधर इसी महीने 28 तारीख को नैनीताल के शैले हाॅल में शमशेर सिंह बिष्ट की अगुवाई में छात्र और युवा हाॅल में घुस गए और वनों की नीलामी के विरोध में नारे लगाने लगे। एसडीएम के आदेश पर बिष्ट, गोपाल दत्त पांडे, शेर सिंह धौनी, खड़ग सिंह बोरा, देवेन्द्र सनवाल, बालम सिंह जनोटी, जसवंत सिंह बिष्ट और हरीश रावत समेत 18 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के विरोध में बड़ी संख्या में छात्र थाने पहुंच गए। उधर अल्मोड़ा में छात्रों ने सभी स्कूल-काॅलेज और बाजार बंद करा दिए। व्यापक विरोध के चलते गिरफ्तार आंदोलनकारियों क

सुंदर लाल बहुगुणा: 11 अस्कोट से आराकोट अभियान से युवाओं को जोड़ा

  यात्रा के पदयात्री: शमशेर बिष्ट, प्रताप शिखर, शेखर पाठक और कुंवर प्रसून सुंदर लाल बहुगुणा: 11  अस्कोट से आराकोट अभियान से युवाओं को जोड़ा शराबबंदी आंदोलन की सफलता के बाद 1973 में हुए चिपको आंदोलन को व्यापक स्वरूप देने के लिए सुंदर लाल बहुगुणा ने युवाओं को कुमाऊं के अस्कोट से गढ़वाल के आराकोट तक की यात्रा के माध्यम से जोड़ा। 700 किमी की यात्रा 44 दिन में पूरी हुई। यात्रा की शुरुआत के लिए टिहरी को राजशाही की गुलामी से मुक्ति दिलाने के लिए शहीद हुए अमर शहीद श्रीदेव सुमन के जन्मदिन 25 मई को चुना गया। अस्कोट- आराकोट अभियान में कुमाऊं से शेखर पाठक और शमशेर सिंह बिष्ट और गढ़वाल से प्रताप शिखर, कुंवर प्रसून और विजय जड़धारी इसमें शामिल हुए। ये सभी छात्र थे। बीच- बीच में कुछ और युवा भी यात्रा में शामिल हुए। यात्रा का विषय रखा गया वन संरक्षण, शराबबंदी, स्त्री शक्ति जागरण और युवा पलायन रोकना। 25 मई 1974 को पिथौरागढ़ के अस्कोट से यात्रा की शुरुआत हुई। तय हुआ कि जन सहयोग से ही यात्रा चलेगी और यात्री गांवों में रुक कर सभाओं के माध्यम से लोगों के साथ वन संरक्षण, शराबबंदी, स्त्री शक्ति जागरण और युवा पलायन

सुंदरलाल बहुगुणाः 10ः क्या हैं जंगल के उपकार, मिट्टी पानी और बयार

      सिल्यारा गांव में पनचक्की चलाते सुंदर लाल बहुगुणा   पदयात्रा के दौरान ग्रामीणों का हाल जानते सुंदर लाल बहुगुणा  सुंदरलाल बहुगुणाः 10ः  क्या हैं जंगल के उपकार, मिट्टी पानी और बयार चिपको आंदोलन की शुरुआत वन पर गांवों के अधिकार के विचार के साथ हुई। तब यह सोच उपजी कि वनों के व्यापारिक दोहन से ही वन समाप्त हो रहे हैं। ठेकेदार मुनाफे के लिए आवंटित पेड़ों से कई ज्यादा पेड़ काट डालता है। नुकसान स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ता है। ऐसे में वन सहकारी समिति के माध्यम से स्थानीय लोगों को वन आधारित रोजगार का विचार पनपा। उत्तराखंड सर्वोदय मंडल की स्थापना हुई और आनंद सिंह बिष्ट इसके अध्यक्ष बने। सर्वोदय सेवकों ने अपनी संस्थाओं के माध्यम से वन आधारित उद्योग लगाने शुरू कर दिए। चंडी प्रसाद भट्ट ने दशोली ग्राम स्वराज मंडल की स्थापना की। दशोली ग्राम स्वराज मंडल को अपनी आरा मशीन के लिए पांच पेड़ नहीं मिले उधर खेलकूद का सामान बनाने वाली इलाहाबाद की साइमन कंपनी को मार्च 1973 में चमोली जिले में अंगू के हजारों पेड़ आवंटित कर दिए गए। साइमन कंपनी ने देहरादून की सरकारी स्पोट्रर्स कंपनी के सहयोग से चमोली में पेड़ काट