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World Environment Day 2022

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सुंदर लाल बहुगुणा 2 - जातीय भेदभाव मिटाने की लड़ाई से हुई शुरुआत

टिहरी राजशाही के खिलाफ श्रीदेव सुमन की लड़ाई को लाहौर से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद सुंदर लाल बहुगुणा ने टिहरी रियासत में कांग्रेस के पदाधिकारी के रूप में आगे बढ़ाया। इस बीच 11 जनवरी 1948 को नागेन्द्र सकलानी और मोलू भरदारी को राजशाही द्वारा की गई हत्या से फैली विद्रोह की चिनगारी ने 14 जनवरी 1948 राजशाही का तख्ता पलट दिया। कीर्तिनगर से दोनों शहीदों के शवों को लेकर अपार जनसमूह टिहरी के लिए बढ़ चला। टिहरी के कोने-कोने से जनता  भी 14 जनवरी को मकरैण के लिए साथ में दाल  चावल लेकर  टिहरी पहुंची। जनता में राजशाही के खिलाफ इतना आक्रोश था कि राजतंत्र के लोगों की जान बचाने को टिहरी जेल में बंद करना पड़ा। उसी दिन राजशाही का आखिरी दिन था। प्रजामंडल की सरकार बन गई। तब सुंदर लाल बहुगुणा प्रजामंडल के मंत्री थे लेकिन वे सरकार में शामिल होने की बजाय कांग्रेस के महामंत्री बने। वे घंटाघर के पास कांग्रेस के दफ्तर में रहते थे। तब शराब का प्रकोप जोरों पर था। सबसे खराब स्थिति टिहरी शहर की दलित बस्ती की थी। यहां के पुरुष शराब के नशे में रात में अपने परिवार के साथ गालीगलौज और मारपीट करते थे। इसस...

हेंवल घाटी से बदली चिपको आंदोलन की दिशा, पीएसी लौटी बैरंग

अदवानी में वनों को बचाने को पहुंचे ग्रामीण   चिपको आंदोलन को समर्थन देने पहुंचे रिचर्ड सेंट बार्बे बेकर  Click here for english version बहुगुणा ने यहीं दिया क्या हैं जंगल के उपकार मिट्टी  पानी और बयार, नारा वनों को बचाने के लिए हथकड़ी पहन कर पहली बार जेल गए आंदोलनकारी  कुंवर प्रसून ने इजाद किए आंदोलन के नए-नए तरीके, आंदोलन के लिए नारे भी गढ़े वनों को लेकर बहुगुणा के विचारों को हेंवलघाटी में मूर्त रूप मिला। यहां लोग पेड़ों को आरों से बचाने के लिए उन पर न केवल चिपक गए बल्कि पुलिस और पीएसी का सामना करने के साथ ही बाकयदा हथकड़ी पहन कर जेल भी गए। सुदर लाल बहुगुणा ने यहीं नारा दियाः- क्या हैं जंगल के उपकार मिट्टी पानी और बयार।  बहुगुणा की प्रेरणा से धूम सिंह नेगी ने स्थानीय स्तर पर आंदोलन को नेतृत्व प्रदान किया तो कुंवर प्रसून ने आंदोलन केे लिए नए-नए तरीके इजाद किए और नारे गढ़े। आंदोलन में प्रताप शिखर, दयाल भाई, रामराज बडोनी, विजय जड़धारी, सुदेशा देवी, बचनी देवी और सौंपा देवी समेत दर्जनों महिलाओं युवाओं और छात्रों की अहम भूमिका रही। बकौल रामराज बडोनी आंदोलन सुंदर लाल ब...

चीड़, सफेदा, पौपलर नहीं लगेगा, धरती मां के दुश्मन हैं

सिंहुता में प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कृष्णमेट   बहुगुणा जी की डायरी से हरे पेड़ों की कटाई पर रोक के बाद वृक्षारोपण पर दिया जोर, फाइव एफ ट्री का दिया नारा हिमाचल में नर्सरियों से सफेदा और चीड़ के पौधे उखाड़े, उपमन्यु समेत तीन लोग गए जेल विदेशी प्रजाति के प्रकृति के लिए घातक पौधे लगाने का किया विरोध, उनकी जगह पंच जीवन पौधे रोपे कोयले की भट्टियां उजाड़ी कहा, सूखी लकड़ी पर पर पहला हक स्थानीय लोगों का सिल्यारा में वन विभाग के दफ्तर पर महिलाओं ने दिन में छिलके जलकर किया प्रदर्शन हरे पेड़ों के कटान पर रोक के बाद सुंदर लाल बहुगुणा ने वृक्षारोपण पर ध्यान केंद्रित किया। अपनी लंबी यात्राओं से उन्हें प्राकृतिक वनों में एकल प्रजाति के पौधे लगाने  और खासकर चीड़, पौपलर और सफेदा (यूकेलिप्टिस) से धरती को पहुंचने वाले नुकसान का व्यावहारिक ज्ञान हो गया था। एकल प्रजाति के और विदेशी पौधे लगाने का विरोध करते हुए उन्होंने स्थानीय लोगों की जरूरत के मुताबिक खाद्य,चारा,खाद,रेशा और जलाऊ लकडी प्रदान करने वाले पारंपरिक पंच जीवन पौधे ही लगाने की बात कही। इसके लिए उन्होंने फाइव एफ ट्री(फूड, फौडर, फर्टी...