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Showing posts from March, 2020

Sundar Lal Bahuguna 9: The rise of Chipko movement in this way

SUNDER LAL BAHUGUNA GANDHI OF THE ENVIRONMENT SUBSCRIBE Sundar Lal Bahuguna 9: The rise of Chipko movement in this way March 08, 2020 Ghanshyam Sailani and Chandi Prasad Bhatt Sundar Lal Bahuguna 9: The rise of Chipko movement During his travels, Sundar Lal Bahuguna closely understood the consequences of forest destruction and the benefits of forest protection. He observed that trees have the ability to bind soil and conserve water. For the British (who spread the Pines in the hill) and the forest department it was associated with, the forests were only a source of wood, Lisa and trading. He believed that the first use of forests should be for the people living nearby so the food, grass, wood and fodder could be easily available to them. He said that the real benefits of forests are soil, air and water. This thinking later led to the slogans of the Chipko movement: ...

सुंदर लाल बहुगुणा 9: इस तरह हुआ चिपको आंदोलन का उदय

Click here to access english version सुंदर लाल बहुगुणा  और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती विमला बहुगुणा अपनी यात्राओं के दौरान सुंदर लाल बहुगुणा ने वन विनाश के परिणामों और वन संरक्षण के फायदों को बारीकी से समझा। उन्होने देखा कि पेड़ों में मिट्टी को बांधे रखने और जल संरक्षण की  क्षमता है। अंग्रेजों के फैलाए चीड़ और इसी से जुड़ी वन विभाग की वनों की परिभाषा ; जंगलों की देन लकड़ी लीसा और व्यापार भी उनके गले नहीं उतरी। उनका मानना था कि वनों का पहला उपयोग पास रह रहे लोगों के लिए हो। उससे उन्हें अपनी जरूरत की चीजें खाद्य पदार्थ, घास, लकड़ी और चारा घर के पास ही सुलभ हों। उन्होंने कहा कि वनों की असली देन तो मिट्टी,पानी और हवा है। उनकी इसी सोच से बाद में चिपको आंदोलन के नारे : क्या हैं जंगल के उपकरण, मिट्टी पानी और बयार, मिट्टी पानी और बयार, जिंदा रहने के आधार का जन्म हुआ।   उन्होंने वन अधिकारों के लिए बड़कोट के तिलाड़ी में शहीद हुए ग्रामीणों के शहादत दिवस 30 मई को वन दिवस के रूप मे मनाने का 30 मई 1967 में निश्चय किया। इसमें अपने सर्वोदयी साथियों के अलावा सभी से शामिल होने की उन्होंने ...

Chipko Leader SL Bahuguna speak

सुंदर लाल बहु्गुणा 8: 120 दिन में पैदल नाप दिया पूरा उत्तराखंड

यात्रा के दौरान जाजल में  caption यात्रा की समाप्ति पर रामझूला में सुंदर लाल बहु्गुणा 8: 120 दिन में पैदल नाप दिया पूरा उत्तराखंड शराब बंदी के सफल आंदोलन के बाद सुंदर लाल बहुगुणा ने जातीय समानता, ग्रामदान, शराबबंदी, महिला शक्ति जागरण और वन संरक्षण का संदेश पूरे उत्तराखंड में फैलाने की ठानी। 1973 में दीपावली के दिन उन्होंने सिमलासू से अपनी यात्रा शुरू की। अपने आध्यात्मिक गुरु और डिवाइन लाइफ सोसायटी के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद का आशीर्वाद लेकर 25 अक्तूबर को उन्होंने यात्रा शुरू की। इस मौके पर मुनिकीरेती से पधारे स्वामी चिदांनंद ने कहा, भारतीय संस्कृति का महान संदेश फैलाने की शक्ति मैं 120 दिन की इस यात्रा में देखता हूं। वर्ष 1906 में वेदांती संत स्वामी रामतीर्थ ने दीपावली के दिन यही भिलंगना नदी में जल समाधि ली थी। लाहौर में गणित के प्रोफेसर रामतीर्थ स्वामी विवेकानंद से प्रभावित होकर 1901 में सुदूर टिहरी आए और स्वामी रामतीर्थ बन कर यहीं के होकर रह गए। सुन्दर लाल बहुगुणा ने पहला पड़ाव अपने जन्मस्थल मरोड़ा गांव को बनाया। इस गांव को राजभक्त परिवार से मतभेद के बाद ...