उत्तराखंड को 1973-74 में पैदल नाप रहे बहुगुणा को उम्मेद सिंह मिला था जंगल में जंगल से बहुगुणा उसे लौटा लाए घर, रात में मॉं के सामने लिवाई अपराध छोड़ने की शपथ उम्मेद लूटपाट और अवैध शराब बनाना छोड़कर गांव में बिताने लगा सामान्य जीवन स्थानीय प्रशासन ने ली राहत की सांस, पिथौरागढ़ में आयोजित हुआ बड़ा समारोह उत्तराखंड को पैदल नापते हुए सुंदर लाल बहुगुणा वर्ष 1973 के आखिर में जब पिथौरगढ़ जिले में पहुंचे तो वहां दस्यु उम्मेद सिंह का आतंक था। सरकारी उपेक्षा से खिन्न पूर्व फौजी उम्मेद सिंह ने अपराध का रास्ता चुन लिया था। वह दारू (कच्ची शराब) बनाता और लूटपाट भी करता था। एक बार पुलिस ने उसे पकड़ कर लोहाघाट की जेल भी पहुंचाया लेकिन छूटते ही वह फिर से अपराध की दुनिया मंे शामिल हो गया। एक बार जेल जाने के बाद बीसा बजेड़ गांव के उम्मेद सिंह ने पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए जंगलों में अपना ठिकना बना लिया था। साथ ही वह अपना ठिकाना भी बदलता रहता था। जंगलों में ही दारू बनाकर वह उसका अवैध करोबार करने लगा। इसमें सहयोग केे लिए उसने अपना एक गिरोह भी बना लिया था। यही नहीं वह अपने इलाके से गुजरने वाले ग्रामीणों से ल...