1927- 9 जनवरी भागीरथी के किनारे टिहरी जिले के मरोड़ा गांव में जन्म। गंगा भक्त मां-बाप ने नाम दिया गंगाराम
1935 - वन अधिकारी पिता अंबादत्त बहुगुणा का निधन
1935 - पढ़ाई के लिए अपने रिश्तेदार के यहां टिहरी आए। प्रताप कॉलेज में
दाखिला लिया
1940 - टिहरी रियासत के खिलाफ आजदी का बिगुल फूंकने वाले श्रीदेव सुमन के
साथ टिहरी में पहली मुलाकात
1941 - राजशाही के खिलाफ नारद नाम से अखबारों में समाचार भेजना शुरू किया
1942 - राजशाही की खिलाफत करने पर अपने राजभक्त परिवार से मतभेद के चलते
घर छोड़ दिया
1942 - गर्मियों की छुट्टी में मसूरी में श्रीदेव सुमन द्वारा श्रमिकों के
लिए खोली गई रात्रि पाठशाला में अध्यापन
1942 - मां पूर्णा देवी का निधन, एकादशी के दिन भागीरथी
में नहाने गईं और नदी में ही समां गईं
1944 - श्रीदेव सुमन को जेल में दी जा रही यातना और सुमन का जेल के अंदर
ही दिया बयान अखबारों में छपवाया
1944 - समाचार छपते ही टिहरी रियासत की पुलिस ने 19 मार्च को हिरासत में
लिया। हिरासत में ही बारहवीं की परीक्षा दी
1944 - 19 मार्च को पुलिस ने गिरफ्तार कर नरेंद्रनगर हवालात में बंद
कर दिया। 5 महीने बाद हालत नाजुक
होने पर डॉक्टर की सलाह पर रिहा हुए। रिहा होते ही आगे पढ़ाई के लिए लाहौर चले गए।
सनातन धर्म कॉलेज में दाखिला लिया
1945 - टिहरी रियासत की पुलिस गिरफ्तारी के लिए लाहौर पहुंची। 19जून को पुलिस को चकमा
देकर लायलपुर चले गए
1945 - सरदार मान सिंह बनकर सिंहनीपुर गांव में एक जमीदार के यहां एक साल
तक उसके बच्चों को पढ़ाने के लिए रहे
1947 - प्रथम श्रेणी के साथ बीए आनर्स की डिग्री हासिल कर वापस टिहरी लौटे
1947 - टिहरी रियासत की फौज द्वारा टिहरी नगर में प्रवेश न करने देने पर अगस्त के आखिरी हफ्ते में पुल के ऊपर एक हफ्ते तक
उपवास किया
1948 - टिहरी में कांग्रेस के महामंत्री और फिर टिहरी में गठित प्रजामंडल
की सरकार के प्रचार मंत्री बने
1948 -29 जनवरी को महात्मा गांधी की हत्या से एक दिन पहले नई दिल्ली में
उनसे मिले। गांधी ने राजशाही के खिलाफ अहिंसक आंदोलन के लिए सुंदर लाल की पीठ
थपथपाई
1949 - महात्मा गांधी की अंग्रेज शिष्या मीरा बेन के संपर्क में आए। टिहरी
के दूरस्थ गांव गेंवली में ग्राम स्वराज के विचार के प्रसार में मदद की और बापू
राज पत्रिका समेत उनके प्रकाशन का जिम्मा संभाला
1950 - टिहरी में हरिजन बच्चों को सम्मान के साथ पढ़ने का अवसर देने के लिए
ठक्कर बापा छात्रावास की स्थापना की। हालांकि शुरुआत 1948 में ही कांग्रेस के
दफ़्तर से कर दी थी। 1950 में छात्रावास अपने भवन में आ गया।
1956 - 19 जून को टिहरी से 22 मील दूर सिल्यारा में विमला नौटियाल से शादी और
पर्वतीय नव जीवन मंडल की स्थापना
1956 - पहले यमुनोत्री व फिर बूढ़ाकेदार मंदिर मे 20अगस्त को थोकदारों की मार
से लहूलुहान होते हुए भी हरिजनों का प्रवेश कराया
1960 - विनोबा भावे की अपील पर 7 पर्वतीय जिलों की पदयात्रा
1961 - दलित वर्ग के समाज सुधारक युवक बिहारी लाल नगवाण की डोला पालकी से
शादी करवायी
1965 - शराब के खिलाफ अभियान छेड़ा। घनसाली, चिरबिटिया, लंबगांव, बादशाहीथौल और चंबा की
दुकानें बंद करवायी।
1967 - तिलाड़ी में 30 मई को वन दिवस मनाने का निश्चय किया
1969 - तिलाड़ी में 30 मई को शहीद स्मारक की स्थापना की और वन संरक्षण
की शपथ ली
1971 - टिहरी से उत्तराखंड में शराबबंदी की मांग को लेकर आंदोलन छेड़ा। खुद
शराब की दुकान के बाहर 16 दिन का उपवास किया। पत्नी
विमला बहुगुणा, 6 साल का बेटा प्रदीप और 62 साल की सास रत्नकांता समेत बड़ी संख्या में महिला, पुरुष और बच्चे देहरादून, बरेली, टिहरी और सहारनपुर की
जेलों में गए। आखिरकार यूपी सरकार को शराबबंदी लागू करनी पड़ी।
1972 - 11 दिसंबर को पुरोला, बड़कोट से वन व्यवस्था में
आमूल चूल परिवर्तन के लिए वन आंदोलन का बीड़ा उठाया।
1973 - जातीय समानता, ग्रामदान, शराबबंदी व महिला शक्ति
जागरण के लिए उत्तराखंड की 1400 किमी की यात्रा 120 दिन में की
1974 - अभियान में युवाओं को जोड़ने के लिए अस्कोट से आराकोट तक की 700 किमी की यात्रा की शुरुआत 25 मई को की
1974 - वनों की नीलामी के विरोध में 3 अक्तूबर से उत्तरकाशी में दो सप्ताह का उपवास
किया
1977 - बहुगुणा के कार्यों से प्रभावित होकर वृक्ष मानव रिचर्ड सेंट
बार्वे बेकर नवंबर में उनसे मिलने सिल्यारा आए
1977 - टिहरी,उत्तरकाशी में चीड़ के पेड़ों को काटने के लिए नरेंद्रनगर में हो रही
की नीलामी के विरोध में 3 दिन का उपवास किया
1978 - गोमुख ग्लेशियर के तेजी से खिसकने से चिंतित होकर 14 मई को जीवन हिमालय व गंगा
के संरक्षण के लिए समर्पित करने का संकल्प लिया। जल समस्या की ओर ध्यान दिलाने के
लिए खुद चावल खाना इस तर्क के साथ छोड़ दिया कि धान का पौधा बहुत ज्यादा पानी लेता
है।
1978 - धार गांव कांगड़ में 5 दिसंबर को पेड़ काट रहे मजदूरों को कुल्हाड़े-आरे
छोड़कर पेड़ लगाने के काम में लगवा दिया
1979 - बडियारगढ़ में पेड़ कटने से बचाने के लिए अपने जन्मदिन 9 जनवरी से अनिश्चितकालीन
उपवास शुरू कर दिया। टिहरी और देहरादून की जेल में बंद रहते हुए भी उपवास तब तोड़ा
जब यूपी सरकार ने हरे पेड़ों की कटाई पर रोक लगायी
1980 - कनाडा के फ्रेंड्स ऑफ नेचर द्वारा पर्यावरण संरक्षण अवार्ड
1980 - वृक्ष मानव रिचर्ड सेंट बार्वे बेकर 31अगस्त को अद्वानी आये।
उन्होंने चिपको आंदोलन चलाकर पेड़ों को बचाने वाले सुंदर लाल बहुगुणा को अपना गुरु
माना और उनके नारे ‘क्या हैं जंगल के उपकार
मिट्टी पानी और बयार’
को विश्व स्तर पर मान्यता
दी
1981 - इंडियन साइंस कांग्रेस के
वाराणसी अधिवेशन में चिपको आंदोलन के पूर्ण समर्थन का संकल्प व्यक्त किया गया
1981 - पद्मश्री इस तर्क के साथ ठुकरा दी कि जब तक हरे पेड़ों की कटाई पर
रोक नहीं लगती, लेने का कोई मतलब नही
1981 - पर्यावरण संरक्षण का संदेश फैलाने के लिए 30 मई को काश्मीर से कोहिमा
तक की यात्रा शुरू की
1981 - नैरोबी में संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड एनर्जी कान्फ्रेंस में अगस्त
के महीने पीठ पर लकड़ी का बोझा उठाकर प्रदर्शन किया
1982 - लंदन में यूएनईपी के पर्यावरण पर हुए सम्मेलन में प्रतिभाग किया
1982 - 9 जुलाई भटियात हिमाचल में चिपको शुरू
26 अप्रैल सीएम वीरभद्र से चीड़
सफेदा रोपण और वन व्यापार बंद करने की मांग
1983- 16 मार्च से चीड़,सफेदा की नरर्सरियां
उखड़ी
1983 - कर्नाटक के सिरसी में अप्पिको आंदोलन का बीजारोपण
198386 केन्या,यूके, जर्मनी, फ्रांस, आष्ट्रिया, डेनमार्क,स्वीडन, हॉलैंड, फिनलैंड, इटली, बेल्जियम, कनाडा, यूएसए, मेक्सिको, इंडोनेशिया, मलेशिया, थाइलैंड, जापान, बैंकाक, नेपाल समेत कई देशों में
पर्यावरण संरक्षण का संदेश फैलाया और आंदोलनों में हिस्सा लिया
1984 - स्विट्जरलैंड में एसिड रेन को लेकर हुए आंदोलन में प्रतिभाग किया
1984 - राष्ट्रपति द्वारा दशरथ मल सिंघवी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार
1984 - गढ़चिरौली में नर्मदा बचाओ आंदोलन में शामिल हुए (9अप्रैल)
1985 - मैक्सिको में वर्ल्ड फारेस्ट्री कांग्रेस में प्रतिभाग किया
1985 - 11 फरवरी को फ्रेंड्स ऑफ ट्री मुबंई का मैन ऑफ द ट्री अवार्ड
1986 - जमनालाल बजाज पुरस्कार
1987- नाहिकला मे चूना
खनन के विरोध में 30 मई से 5 जून तक उपवास
1987 - राइट लाइवलीवुड (वैकल्पिक नोबल प्राइज पुरस्कार (9दिसंबर))
पुरस्कार
1988 - 22 सितंबर को हिमाचल चिपको आंदोलन में कुलभूषण उपमन्यु, डलकू राम, भूरू राम गिरफ्तार। दो
महीने बाद रिहा।
1989 - रुड़की विवि द्वारा डॉक्ट्रेट की मानद उपाधि (27अक्तू)
1989
- शेरे कश्मीर अवार्ड
1989 - टिहरी में भागीरथी पर बन
रहे विशालकाय बांध को रुकवाने के लिए 24 नवंबर को सिल्यारा आश्रम का परित्याग कर दिया
1989 - टिहरी में भागीरथी पर बन रहे विशालकाय बांध के विरोध में 25 दिसंबर से 16 दिन का उपवास
1989- मिले व्यापक जन समर्थन से सीधी कार्रवाई कर टिहरी बांध का निर्माण
कार्य ठप करवाया खुद एक मशीन पर बैठ गए
1989- 27 सितंबर को हरसूद में नर्मदा बांध के खिलाफ आयोजित रैली में शामिल
हुए।
1990 - पर्यावरण मंत्रालय द्वारा गठित भूमला समिति ने बड़े बांध की बजाय रन
ऑफ़ द रिवर स्कीम की सिफारिश की
1991 - गंगा के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए गंगा सागर से गंगोत्री
तक की साइकिल यात्रा
1991 - 14 दिसंबर को समर्थन में उमड़े लगभग 5 हजार लोगों के साथ बांध
स्थल में घुस गए और एक पोकलैन मशीन पर बैठ कर बांध निर्माण ठप करवा दिया
1992 - 27 फरवरी की मध्यरात्रि को बांधस्थल से पत्नी और 13 अन्य सहयोगियों के साथ
गिरफ्तार हुए पहले नई टिहरी जेल और फिर मेरठ मेडिकल कॉलेज ले जाए गए। कोर्ट के
आदेश पर 10 दिन बाद फिर वापस टिहरी छोड़े
गए।
1992 - 10 मार्च को समर्थन में आए डेढ़ हजार से ज्यादा लोग धारा 144 तोड़कर बांधस्थल में घुस
गए
1992 - 20 मार्च को समर्थकों की बस दुर्घटना में 16 लोग मारे गए। बहुगुणा ने
इसे षडयंत्र से की गई हत्या करार दिया
1992 - 12 अप्रैल को टिहरी बांध का निर्माण रोकर उसकी पुर्नसमीक्षा के
आश्वासन पर 45 दिन का उपवास तोड़ा
1992 - विश्वभारती विश्वविद्यालय शांतिनिकेतन द्वारा रथिंद्रा अवार्ड
1995 - समाजसेवा के लिए शिरडी साईं बाबा मैडल
1995 - 14 अप्रैल को टिहरी बांध के डम्परों व मशीनों को सीधी कार्रवाई कर
रोका
1995- 9 मई को पुलिस ने गिरफ्तार कर सहारनपुर जेल पहुंचाया
1995 - इलाहबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रिहाई, पुलिस ने वापस टिहरी
पहुंचाया
1995 - टिहरी बांध निर्माण के विरोध में सहारनपुर जेल में शुरू किया उपवास 49 दिन बाद 27 जून को
प्रधानमंत्री के टिहरी बांध की पूर्ण समीक्षा के आश्वासन पर तोड़ा।संदेश लेकर यू पी
के राज्यपाल मोतीलाल बोरा टिहरी आए।
1995 - 9 जून को मुँह
अंधेरे 3 बजे सैकड़ों पुलिसकर्मियों ने बहुगुणा का कैम्प घेर लिया और उपवासरत
बहुगुणा को घसीटते हुए जबरन एम्बुलेंस में डाला और फिर जोलीग्रांट से हेलिकॉप्टर
में बैठाकर AIMS नई दिल्ली में दिल्ली
पुलिस की कस्टडी में छोड़ दिया।पीयूसीएल ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में बंदी
प्रत्यक्चीकरण याचिका दायर की। कोर्ट ने 13 मार्च को प्रस्तुत करने का आदेश
दिया।कोर्ट ने बहुगुणा को वापस टिहरी पहुँचाने का आदेश दिया।
1995 - सतत विकास पर हिंदी में लेखन के लिए वर्ल्ड फूड डे पर एफएओ गोल्डन
जुबली अवार्ड
1996 - टिहरी बांध निर्माण के विरोध में 13 अप्रैल से 74 दिन का उपवास
1996 - जस्टिस वीआर कृष्ण अय्यर अवार्ड
1996 - नेशनल सिटीजन्स अवार्ड
1997- प्रधानमंत्री देवगौड़ा द्वारा टिहरी बांध के
बारे में दिए आश्वासन के पूरा न होने पर 2 अक्टूबर से 25 नवंबर तक 54 दिन का
प्रायश्चित उपवास
1997- भरत निर्माण द्वारा भास्कर अवार्ड
1998- कैलाश मठ नासिक द्वारा सरस्वती सम्मान अवार्ड 2000 - सतपाल मित्तल नेशनल
अवार्ड
2001 - गांधी सेवाअवार्ड
2001 - कलकत्ता का सरस्वती सम्मान
2003 - पर्यावरण संरक्षण के लिए स्वामी राम अवार्ड
2004- कांची पीठ सम्मान(11 दिसंबर मुंबई)
2005- 30 अक्तूबर को टिहरी बांध की अंतिम सुरंग बंद होने पर भागीरथी के झील
में कैद होने को माँ गंगा की हत्या करार दिया और शोक में मुंडन कराया
2009 - पद्मविभूषण अवार्ड
2021 - 21 मई को एम्स़ ऋषिकेश में 94 वर्ष की उम्र में निधन
1927- 9 जनवरी भागीरथी के किनारे टिहरी जिले के मरोड़ा गांव में जन्म। गंगा भक्त मां-बाप ने नाम दिया गंगाराम
1935 - वन अधिकारी पिता अंबादत्त बहुगुणा का निधन
1935 - पढ़ाई के लिए अपने रिश्तेदार के यहां टिहरी आए। प्रताप कॉलेज में
दाखिला लिया
1940 - टिहरी रियासत के खिलाफ आजदी का बिगुल फूंकने वाले श्रीदेव सुमन के
साथ टिहरी में पहली मुलाकात
1941 - राजशाही के खिलाफ नारद नाम से अखबारों में समाचार भेजना शुरू किया
1942 - राजशाही की खिलाफत करने पर अपने राजभक्त परिवार से मतभेद के चलते
घर छोड़ दिया
1942 - गर्मियों की छुट्टी में मसूरी में श्रीदेव सुमन द्वारा श्रमिकों के
लिए खोली गई रात्रि पाठशाला में अध्यापन
1942 - मां पूर्णा देवी का निधन, एकादशी के दिन भागीरथी
में नहाने गईं और नदी में ही समां गईं
1944 - श्रीदेव सुमन को जेल में दी जा रही यातना और सुमन का जेल के अंदर
ही दिया बयान अखबारों में छपवाया
1944 - समाचार छपते ही टिहरी रियासत की पुलिस ने 19 मार्च को हिरासत में
लिया। हिरासत में ही बारहवीं की परीक्षा दी
1944 - 19 मार्च को पुलिस ने गिरफ्तार कर नरेंद्रनगर हवालात में बंद
कर दिया। 5 महीने बाद हालत नाजुक
होने पर डॉक्टर की सलाह पर रिहा हुए। रिहा होते ही आगे पढ़ाई के लिए लाहौर चले गए।
सनातन धर्म कॉलेज में दाखिला लिया
1945 - टिहरी रियासत की पुलिस गिरफ्तारी के लिए लाहौर पहुंची। 19जून को पुलिस को चकमा
देकर लायलपुर चले गए
1945 - सरदार मान सिंह बनकर सिंहनीपुर गांव में एक जमीदार के यहां एक साल
तक उसके बच्चों को पढ़ाने के लिए रहे
1947 - प्रथम श्रेणी के साथ बीए आनर्स की डिग्री हासिल कर वापस टिहरी लौटे
1947 - टिहरी रियासत की फौज द्वारा टिहरी नगर में प्रवेश न करने देने पर अगस्त के आखिरी हफ्ते में पुल के ऊपर एक हफ्ते तक
उपवास किया
1948 - टिहरी में कांग्रेस के महामंत्री और फिर टिहरी में गठित प्रजामंडल
की सरकार के प्रचार मंत्री बने
1948 -29 जनवरी को महात्मा गांधी की हत्या से एक दिन पहले नई दिल्ली में
उनसे मिले। गांधी ने राजशाही के खिलाफ अहिंसक आंदोलन के लिए सुंदर लाल की पीठ
थपथपाई
1949 - महात्मा गांधी की अंग्रेज शिष्या मीरा बेन के संपर्क में आए। टिहरी
के दूरस्थ गांव गेंवली में ग्राम स्वराज के विचार के प्रसार में मदद की और बापू
राज पत्रिका समेत उनके प्रकाशन का जिम्मा संभाला
1950 - टिहरी में हरिजन बच्चों को सम्मान के साथ पढ़ने का अवसर देने के लिए
ठक्कर बापा छात्रावास की स्थापना की। हालांकि शुरुआत 1948 में ही कांग्रेस के
दफ़्तर से कर दी थी। 1950 में छात्रावास अपने भवन में आ गया।
1956 - 19 जून को टिहरी से 22 मील दूर सिल्यारा में विमला नौटियाल से शादी और
पर्वतीय नव जीवन मंडल की स्थापना
1956 - पहले यमुनोत्री व फिर बूढ़ाकेदार मंदिर मे 20अगस्त को थोकदारों की मार
से लहूलुहान होते हुए भी हरिजनों का प्रवेश कराया
1960 - विनोबा भावे की अपील पर 7 पर्वतीय जिलों की पदयात्रा
1961 - दलित वर्ग के समाज सुधारक युवक बिहारी लाल नगवाण की डोला पालकी से
शादी करवायी
1965 - शराब के खिलाफ अभियान छेड़ा। घनसाली, चिरबिटिया, लंबगांव, बादशाहीथौल और चंबा की
दुकानें बंद करवायी।
1967 - तिलाड़ी में 30 मई को वन दिवस मनाने का निश्चय किया
1969 - तिलाड़ी में 30 मई को शहीद स्मारक की स्थापना की और वन संरक्षण
की शपथ ली
1971 - टिहरी से उत्तराखंड में शराबबंदी की मांग को लेकर आंदोलन छेड़ा। खुद
शराब की दुकान के बाहर 16 दिन का उपवास किया। पत्नी
विमला बहुगुणा, 6 साल का बेटा प्रदीप और 62 साल की सास रत्नकांता समेत बड़ी संख्या में महिला, पुरुष और बच्चे देहरादून, बरेली, टिहरी और सहारनपुर की
जेलों में गए। आखिरकार यूपी सरकार को शराबबंदी लागू करनी पड़ी।
1972 - 11 दिसंबर को पुरोला, बड़कोट से वन व्यवस्था में
आमूल चूल परिवर्तन के लिए वन आंदोलन का बीड़ा उठाया।
1973 - जातीय समानता, ग्रामदान, शराबबंदी व महिला शक्ति
जागरण के लिए उत्तराखंड की 1400 किमी की यात्रा 120 दिन में की
1974 - अभियान में युवाओं को जोड़ने के लिए अस्कोट से आराकोट तक की 700 किमी की यात्रा की शुरुआत 25 मई को की
1974 - वनों की नीलामी के विरोध में 3 अक्तूबर से उत्तरकाशी में दो सप्ताह का उपवास
किया
1977 - बहुगुणा के कार्यों से प्रभावित होकर वृक्ष मानव रिचर्ड सेंट
बार्वे बेकर नवंबर में उनसे मिलने सिल्यारा आए
1977 - टिहरी,उत्तरकाशी में चीड़ के पेड़ों को काटने के लिए नरेंद्रनगर में हो रही
की नीलामी के विरोध में 3 दिन का उपवास किया
1978 - गोमुख ग्लेशियर के तेजी से खिसकने से चिंतित होकर 14 मई को जीवन हिमालय व गंगा
के संरक्षण के लिए समर्पित करने का संकल्प लिया। जल समस्या की ओर ध्यान दिलाने के
लिए खुद चावल खाना इस तर्क के साथ छोड़ दिया कि धान का पौधा बहुत ज्यादा पानी लेता
है।
1978 - धार गांव कांगड़ में 5 दिसंबर को पेड़ काट रहे मजदूरों को कुल्हाड़े-आरे
छोड़कर पेड़ लगाने के काम में लगवा दिया
1979 - बडियारगढ़ में पेड़ कटने से बचाने के लिए अपने जन्मदिन 9 जनवरी से अनिश्चितकालीन
उपवास शुरू कर दिया। टिहरी और देहरादून की जेल में बंद रहते हुए भी उपवास तब तोड़ा
जब यूपी सरकार ने हरे पेड़ों की कटाई पर रोक लगायी
1980 - कनाडा के फ्रेंड्स ऑफ नेचर द्वारा पर्यावरण संरक्षण अवार्ड
1980 - वृक्ष मानव रिचर्ड सेंट बार्वे बेकर 31अगस्त को अद्वानी आये।
उन्होंने चिपको आंदोलन चलाकर पेड़ों को बचाने वाले सुंदर लाल बहुगुणा को अपना गुरु
माना और उनके नारे ‘क्या हैं जंगल के उपकार
मिट्टी पानी और बयार’
को विश्व स्तर पर मान्यता
दी
1981 - इंडियन साइंस कांग्रेस के
वाराणसी अधिवेशन में चिपको आंदोलन के पूर्ण समर्थन का संकल्प व्यक्त किया गया
1981 - पद्मश्री इस तर्क के साथ ठुकरा दी कि जब तक हरे पेड़ों की कटाई पर
रोक नहीं लगती, लेने का कोई मतलब नही
1981 - पर्यावरण संरक्षण का संदेश फैलाने के लिए 30 मई को काश्मीर से कोहिमा
तक की यात्रा शुरू की
1981 - नैरोबी में संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड एनर्जी कान्फ्रेंस में अगस्त
के महीने पीठ पर लकड़ी का बोझा उठाकर प्रदर्शन किया
1982 - लंदन में यूएनईपी के पर्यावरण पर हुए सम्मेलन में प्रतिभाग किया
1982 - 9 जुलाई भटियात हिमाचल में चिपको शुरू
26 अप्रैल सीएम वीरभद्र से चीड़
सफेदा रोपण और वन व्यापार बंद करने की मांग
1983- 16 मार्च से चीड़,सफेदा की नरर्सरियां
उखड़ी
1983 - कर्नाटक के सिरसी में अप्पिको आंदोलन का बीजारोपण
198386 केन्या,यूके, जर्मनी, फ्रांस, आष्ट्रिया, डेनमार्क,स्वीडन, हॉलैंड, फिनलैंड, इटली, बेल्जियम, कनाडा, यूएसए, मेक्सिको, इंडोनेशिया, मलेशिया, थाइलैंड, जापान, बैंकाक, नेपाल समेत कई देशों में
पर्यावरण संरक्षण का संदेश फैलाया और आंदोलनों में हिस्सा लिया
1984 - स्विट्जरलैंड में एसिड रेन को लेकर हुए आंदोलन में प्रतिभाग किया
1984 - राष्ट्रपति द्वारा दशरथ मल सिंघवी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार
1984 - गढ़चिरौली में नर्मदा बचाओ आंदोलन में शामिल हुए (9अप्रैल)
1985 - मैक्सिको में वर्ल्ड फारेस्ट्री कांग्रेस में प्रतिभाग किया
1985 - 11 फरवरी को फ्रेंड्स ऑफ ट्री मुबंई का मैन ऑफ द ट्री अवार्ड
1986 - जमनालाल बजाज पुरस्कार
1987- नाहिकला मे चूना
खनन के विरोध में 30 मई से 5 जून तक उपवास
1987 - राइट लाइवलीवुड (वैकल्पिक नोबल प्राइज पुरस्कार (9दिसंबर))
पुरस्कार
1988 - 22 सितंबर को हिमाचल चिपको आंदोलन में कुलभूषण उपमन्यु, डलकू राम, भूरू राम गिरफ्तार। दो
महीने बाद रिहा।
1989 - रुड़की विवि द्वारा डॉक्ट्रेट की मानद उपाधि (27अक्तू)
1989
- शेरे कश्मीर अवार्ड
1989 - टिहरी में भागीरथी पर बन
रहे विशालकाय बांध को रुकवाने के लिए 24 नवंबर को सिल्यारा आश्रम का परित्याग कर दिया
1989 - टिहरी में भागीरथी पर बन रहे विशालकाय बांध के विरोध में 25 दिसंबर से 16 दिन का उपवास
1989- मिले व्यापक जन समर्थन से सीधी कार्रवाई कर टिहरी बांध का निर्माण कार्य ठप करवाया खुद एक मशीन पर बैठ गए
1989- 27 सितंबर को हरसूद में नर्मदा बांध के खिलाफ आयोजित रैली में शामिल
हुए।
1990 - पर्यावरण मंत्रालय द्वारा गठित भूमला समिति ने बड़े बांध की बजाय रन
ऑफ़ द रिवर स्कीम की सिफारिश की
1991 - गंगा के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए गंगा सागर से गंगोत्री
तक की साइकिल यात्रा
1991 - 14 दिसंबर को समर्थन में उमड़े लगभग 5 हजार लोगों के साथ बांध
स्थल में घुस गए और एक पोकलैन मशीन पर बैठ कर बांध निर्माण ठप करवा दिया
1992 - 27 फरवरी की मध्यरात्रि को बांधस्थल से पत्नी और 13 अन्य सहयोगियों के साथ
गिरफ्तार हुए पहले नई टिहरी जेल और फिर मेरठ मेडिकल कॉलेज ले जाए गए। कोर्ट के
आदेश पर 10 दिन बाद फिर वापस टिहरी छोड़े
गए।
1992 - 10 मार्च को समर्थन में आए डेढ़ हजार से ज्यादा लोग धारा 144 तोड़कर बांधस्थल में घुस
गए
1992 - 20 मार्च को समर्थकों की बस दुर्घटना में 16 लोग मारे गए। बहुगुणा ने
इसे षडयंत्र से की गई हत्या करार दिया
1992 - 12 अप्रैल को टिहरी बांध का निर्माण रोकर उसकी पुर्नसमीक्षा के
आश्वासन पर 45 दिन का उपवास तोड़ा
1992 - विश्वभारती विश्वविद्यालय शांतिनिकेतन द्वारा रथिंद्रा अवार्ड
1995 - समाजसेवा के लिए शिरडी साईं बाबा मैडल
1995 - 14 अप्रैल को टिहरी बांध के डम्परों व मशीनों को सीधी कार्रवाई कर
रोका
1995- 9 मई को पुलिस ने गिरफ्तार कर सहारनपुर जेल पहुंचाया
1995 - इलाहबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रिहाई, पुलिस ने वापस टिहरी
पहुंचाया
1995 - टिहरी बांध निर्माण के विरोध में सहारनपुर जेल में शुरू किया उपवास 49 दिन बाद 27 जून को
प्रधानमंत्री के टिहरी बांध की पूर्ण समीक्षा के आश्वासन पर तोड़ा।संदेश लेकर यू पी
के राज्यपाल मोतीलाल बोरा टिहरी आए।
1995 - 9 जून को मुँह
अंधेरे 3 बजे सैकड़ों पुलिसकर्मियों ने बहुगुणा का कैम्प घेर लिया और उपवासरत
बहुगुणा को घसीटते हुए जबरन एम्बुलेंस में डाला और फिर जोलीग्रांट से हेलिकॉप्टर
में बैठाकर AIMS नई दिल्ली में दिल्ली
पुलिस की कस्टडी में छोड़ दिया।पीयूसीएल ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में बंदी
प्रत्यक्चीकरण याचिका दायर की। कोर्ट ने 13 मार्च को प्रस्तुत करने का आदेश
दिया।कोर्ट ने बहुगुणा को वापस टिहरी पहुँचाने का आदेश दिया।
1995 - सतत विकास पर हिंदी में लेखन के लिए वर्ल्ड फूड डे पर एफएओ गोल्डन
जुबली अवार्ड
1996 - टिहरी बांध निर्माण के विरोध में 13 अप्रैल से 74 दिन का उपवास
1996 - जस्टिस वीआर कृष्ण अय्यर अवार्ड
1996 - नेशनल सिटीजन्स अवार्ड
1997- प्रधानमंत्री देवगौड़ा द्वारा टिहरी बांध के
बारे में दिए आश्वासन के पूरा न होने पर 2 अक्टूबर से 25 नवंबर तक 54 दिन का
प्रायश्चित उपवास
1997- भरत निर्माण द्वारा भास्कर अवार्ड
1998- कैलाश मठ नासिक द्वारा सरस्वती सम्मान अवार्ड 2000 - सतपाल मित्तल नेशनल
अवार्ड
2001 - गांधी सेवाअवार्ड
2001 - कलकत्ता का सरस्वती सम्मान
2003 - पर्यावरण संरक्षण के लिए स्वामी राम अवार्ड
2004- कांची पीठ सम्मान(11 दिसंबर मुंबई)
2005- 30 अक्तूबर को टिहरी बांध की अंतिम सुरंग बंद होने पर भागीरथी के झील में कैद होने को माँ गंगा की हत्या करार दिया और शोक में मुंडन कराया
2009 - पद्मविभूषण अवार्ड
2021 - 21 मई को एम्स़ ऋषिकेश में 94 वर्ष की उम्र में निधन
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